नमस्कार दोस्तों हम एक बार फिर से आ गए हैं आपके लिए एक और दर्शनीय स्थल ( Dhuniwale Dadaji) की जानकारी ले के जोकि खंडवा शहर में स्थित है खंडवा में वैसे तो बहुत जगह घूमने लायक लेकिन दादा जी का मंदिर एक अद्भुत एवं अनोखा मंदिर है जो कि बहुत पुराना है इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर जो कोई भी मन्नत लेने आता है उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि खंडवा शहर को दादा धूनीवाले की नगरी कहा जाता है तो चलिए जानते हैं दादा धूनीवाले मंदिर के बारे में।
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Dada Dhuniwale mandir khandwa
दोस्तों दादा जी मंदिर दादा धूनीवाले (बड़े दादा जी) एवं छोटे दादा जी को समर्पित है यह पुराने समय से ही लोगों की सेवा करते आ रहे हैं एवं अपना जीवन लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया दादाजी का मंदिर खंडवा शहर में खंडवा स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, दादा जी ने लोगों की सेवा करते हुए अपने जीवन को समर्पित कर दिया बड़े दादा जी ने 1930 में समाधि ली थी एवं छोटे दादा जी ने 1942 में।
जैसे ही हम दादाजी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो हमारे सामने ही बड़े दादा जी का मंदिर आता है एवं उसके बगल में छोटे दादा जी का मंदिर है।
धूनी माई
बड़े दादा जी के मंदिर के सामने एक हवन कुंड जैसा बना हुआ है जिसने नारियल आदि चढ़ाए जाते हैं, बताया जाता है कि दादाजी ने अपने हाथों से यहां पर धूनी प्रज्वलित की थी जिस कारण उन्हें धूनी वाले भी कहा जाता है जो धूनी उन्होंने उस समय प्रज्वलित की थी वह आज भी उसी तरह जल रही है उस कुंड को धूनी माई कहा जाता है।
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अन्य मंदिर
दादा जी का मंदिर प्रांगण बहुत बड़ा है यहां पर आपको कई चीजें देखने को मिलेगी जैसे अमूल्य घर रथ घर आदि चीजें जो दादाजी अपने दैनिक कामों में उपयोग में लेते थे जैसे गाड़ियां बिस्तर आदि चीजें यहां पर आपको देखने को मिलेगी। दादा जी के मंदिर के अलावा भी कई मंदिर बने हुए हैं यहां पर प्रसिद्ध तुलजा भवानी मंदिर भी स्थित है जो की माता जी का बहुत ही पुराना मंदिर है।
यहीं पर हरिहर सागर भी है नाम सुनकर आपको लग रहा होगा या कोई नदी या तालाब है लेकिन ऐसा नहीं है यह एक कुआं है जिसका नाम हरिहर सागर है दादाजी मंदिर में इसी को ऐसे के पानी से सब कार्य होते हैं
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क्योंकि एक प्रसिद्ध मंदिर है इसलिए देश विदेशों से यहां पर भक्त आते हैं एवं रुकते हैं उनके रुकने के लिए भी यहां पर भक्तिनिवास की व्यवस्था है जहां पर बाहर से आए हुए भक्त विश्राम कर सकते हैं एवं खाने-पीने की व्यवस्था भी है।